Avtaran Diwas

हजारों सैकड़ों सूर्य-चंद्र, तारे निकल आयें, लेकिन जीव के अंदर का घोर अंधेरा पूरण सतगुरु के बिना नहीं हटता, क्योंकि अंदर की आँख अभी बंद है। इस शताब्दी के परमार्थ पथ के सूर्य, मानव समुदाय के अंतर के गहन अंधकार को मिटाने के लिए माधव नगर की धरा पर, संसार की सोई हुई रूहों को जगाने, मानव जगत के भाग्य विधाता, जन्मों-जन्मों से फंसी रूहों को उबारने, सेवा, सत्संग, सिमरन, ध्यान के अणखुट भण्डारी, नाम के दाता, धरती के भाग्य जगाने, जीवों के उद्धार हेतु परमात्मा सगुर्ण साकार रूप में, पूरण सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी का इस धरा जगत में मुबारक दिन, अठारह नवम्बर, सन् 1975 ई. दिन मंगलवार रात्रि 12ः48 मिनट पर अवतरण हुआ।
अठारह नवम्बर 1975 उस पावन दिन, प्रकृत्ति ने प्रत्येक दिशा में रंग बिखेरे, सब ओर हर्ष ही हर्ष, उल्लास ही उल्लास छा गया। दसों दिशाओं में सुगन्ध युक्त हवा, प्रेम के तराने गाने लगी, सारा जग आलोकित हो गया, भक्तों के हृदय की पुकारों की सुनवाई हुई, भजन-सिमरन के भण्डारी सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी अर्श से इस धरा जगत में अवतरित हो आए।

अर्श से अर्शेवली सतगुरु रूप में,

अवतार धार आए हैं
मिटाने प्यास रूहों की,

प्रेम भण्डारी प्रगटाए हैं
सतगुरु बाबा ईश्वरशाह रूप में,

प्रभु मानुष चोला ओढ़ आए हैं
मुबारक हो मुबारक हो हमारे हुजूर,

सच्चेपातशाह आए हैं

यह अटल सत्य है कि, दिव्य महान विभूतियाँ महान रूहानी कार्य तथा परमार्थी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संसार में आती हैं। वे रूह को बाहरी दुनिया से ध्यान हटाकर, अंतर में अपने परमात्मा से मिलाना चाहते हैं। वे किसी धर्म, मज़हब को, न तोड़ते हैं, न नया बनाते हैं। वे तो आत्मा, परमात्मा का आंतरिक रिश्ता जोड़ने आते हैं। पूर्ण संत सतगुरु अगर अपना प्रकाश एवं वाणियां जीव जगत के मध्य प्रगट नहीं करें, तो साधारण सा इन्सान कैसे जानें, कैसे पहचाने। जीव की न वो कमाई है, न ही ध्यान है। जीव तो सारा दिन मोह-माया में फंसा रहता है।
वे अपने वचनों-वाणियां द्वारा आत्मा को निजघर की याद कराते हैं कि ऐ आतम! तू ईश्वर का अंश है, तू उस प्रभु साहिब को अपने अन्दर देख सकता है, बात कर सकता है, वो तेरी सुनेगा, तू उसकी सुनेगा। पर मन के विकारों ने तुझसे तेरा असल स्वरूप भुला दिया है। इनसे ऊपर उठ, बाहरमुखी मार्गों को छोड़, अंतरमुखी मार्ग को पकड़। सेवा, सत्संग, सिमरन से जुड़कर ही ऐ आतम, तू उस साहिब में मिल सकता हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र, वैश्य, यह सभी के लिए, एक ही साचा उपदेश है, यही हरे माधव परमार्थी साझा रूहानी चक्र है।
हाजिरां हुजूर सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी के अवतरण के पावन दिन 18 नवंबर को, हर वर्ष माधवनगर एवं अन्य नगरों, गाँवों, कस्बों, देश-विदेश की संगतें ‘‘अवतरण दिवस’’ के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं।

Satguru Darshan

"Seek the divine glimpse of Almighty in the form of Pooran Satguru and drench your soul with the bliss."

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Satguru Aarti

“Souls praying and thanking wholeheartedly in the pious feet of True Master”

Hare Madhav | Satguru Baba | Ishwar Shah Sahib Ji
Satguru Satsang

"Listen to the holy sermons of Almighty Satguru and gain the wisdom to incline towards the spiritual path."

Prabhatpheri

“Disciples witnessing the Divine Caravan filled with ecstasy”

"हरे माधव जी के रूप में, लिया प्रभु अवतार अंतर अंधकार मिटाकर, भरा दिव्य उजियार मानसरोवर आपके चरण, ज्ञानतरुवर शरण सुरसरि आपके वचन, आपको कोटि-कोटि नमन"

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